एक पल को निःशब्द
भले हम हो जाए कभी
फिर भी शब्द हमेशा
देते है हमारा साथ
कुछ जुबां पर आ जाते हैं
कुछ अंदर ही अंदर
उमड़ते घुमड़ते हैं
हर वक़्त कितने ही
शब्द चलते रहतें है
हमारे साथ साथ
सवालो मेँ ,जवाबो मेँ
प्रार्थनाओं मेँ,दुआओ मेँ
ये शब्द ही तो है जो
दे देते है कभी धोखा
और जिंदगी के
कटघरे मेँ खड़े हम ,
हार जाते हैं
एक सुलझता हुआ केस
शब्दों की चोट ,
शब्दों की क्रांति से
बच के दिखाओ तो जानें
सीमा श्रीवास्तव
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