Thursday, September 18, 2014

शब्द



एक पल को निःशब्द

भले हम हो जाए कभी

फिर भी शब्द हमेशा

देते है हमारा साथ

कुछ जुबां  पर आ जाते हैं

कुछ अंदर ही  अंदर

उमड़ते  घुमड़ते हैं


हर वक़्त कितने ही

शब्द चलते रहतें है

हमारे साथ साथ


सवालो मेँ ,जवाबो मेँ

प्रार्थनाओं मेँ,दुआओ मेँ

ये शब्द ही तो है जो

दे देते है कभी धोखा

और जिंदगी के

 कटघरे मेँ खड़े हम ,

हार जाते हैं

एक सुलझता हुआ केस


शब्दों की चोट ,

शब्दों की क्रांति से

बच के दिखाओ तो जानें

सीमा श्रीवास्तव



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