Sunday, January 29, 2017

अपूर्णता

कभी -कभी
खुद की अपूर्णता से
हम अजीब सा भारीपन
महसूस करते हैं।

एक मक्के का पौधा भी
कितना अपूर्ण होता है ना
जब तक उसकी देह पर
दाने नहीं जम जाते।
वह तब तक अपने
खालीपन को झेलता है
जब तक वह  ठोस
भुट्टे की शक्ल नहीं ले लेता
और तब वह भारी हो कर भी
खुद को बहुत हल्का पाता है
कि उसे पूर्णता जो मिल जाती है।
- सीमा

Thursday, January 26, 2017

जिंदगी

उसके खूबसूरत अल्फाजों से

    वह रंग रही थी जिंदगी

निखर रही थी, संवर रही थी

   जी रही थी जिंदगी!

Tuesday, January 24, 2017

यादें

कुछ यादों में गोते लगाने पर
हम अपने साथ कितना कुछ
निकाल कर ले आते हैं!
एक याद पकड़ कर
चलते हैं
और भटकते-भटकते
कहाँ से कहाँ
निकल जाते हैं!

ये यादों का सिरा भी ना
लपेटता चला जाता है हमें
और हम ना चाहते हुए भी
इससे
लिपटते चले जाते हैं!
-सीमा

Monday, January 9, 2017

एहसास

वो लिख रहे हैं
अपने -अपने एहसास
मैं पढ़ रही हूँ दोनों को
एक साथ!

मैं एक साथ
प्रेम और दर्द
दोनों को जी रही हूँ!
मैं जी रही हूँ
मजबूरी,
मैं जी रही हूँ उदासी,
मैं जी रही हूँ
तड़प और बेचैनी !
मैं चाह कर भी
प्रेम की थाली से
नहीं छाँट पा रही
कंकड़,पत्थर
कि प्रेम के राहों
में हरदम बिछते
रहे हैं रोड़े!

प्रेम आबाद कम
घायल होता रहा है ज्यादा!!

(इन दिनों लिखने से ज्यादा इन्हें पढ़ने की ख्वाहिश है  ......प्रेम में लिखे गए हर शब्द बड़े कीमती होते हैं!!)
~ सीमा

सौगात

वो लिख सकता था
बहुत कुछ
पर उसने अपने
कलम को सिकोड़कर
रख दिया था
अपने बहुत सारे शब्दों को
खुद ही भूल गया था वो
इसलिए कुछ दिनों से
मैं उसके गुम हुए शब्दों को
सौगात बना कर उसे
लौटा रही थी!

आज बहुत 
दिनों के बाद मैंने
उसे अपनी कलम को
चूमकर 
हसते हुए देखा!!

~ सीमा

सपने


सपने भी
अजीब होते हैं,
पास सोए बच्चे को
  गुम कर देते हैं
और हम उन्हें ढूंढते -ढूंढते
बेचैन होते रहते हैं।
ये सपने बड़ी आसानी से
मुझे फिर से छोटा  बना देते हैं
कल रात मैं फिर से अपने
गुड़ियों के कपड़े सिल रही थी
और खिलौनों वाली कपों में
ढ़ाल रही थी चाय।

कभी -कभी सपनों के शहर में
अचानक उग आते हैं
ढ़ेर सारे रिश्ते -नाते,
ढ़ेर सारे भाई,ढ़ेर सारी बहनें
उस वक्त नींद में ही मैं जी लेती हूँ
अपनी मनचाही जिंदगी
~ सीमा

दर्द


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दोनों के पास कुछ दर्द है
और मैं चाह रही हूँ कि
दोनों का दर्द
एक दूसरे के लिए
दवा बन जाए ,
दोनों की कुछ
चाहतें हैं
और मेरी ये
कोशिश है कि
एक---- ख्वाब
हकीकत बन जाए!

~सीमा

40+

चालीस साला औरतो के  अंदर   ही
जीती रहती है बीस साला लड़कियाँ
पहले से ज्यादा सुन्दर ,तेज और बहादुर
हो जाती हैं वो ,
क्यूंकि उनके साथ
खड़ी रहती है
चालीस साला औरतें !!

- सीमा