माँ के हाथों से बनीं
टेढ़ी मेढ़ी रोटियाँ
जिन्हे परस कर
माँ को भी होती है
तकलीफ ,
बच्चे खा लेते हैं प्रेम से
क्योकि माँ ने बनाया
होता है, उन्हें प्रेम से
अपनी अस्वस्थता की
हालत में भी.......
बच्चे बड़े हो जाते हैं ,
हर तरह की रोटियाँ खा के
और फिर जब उन्हें
नहीं मिलती
घर से बाहर
माँ के हाथो सी नरम रोटी
तो वे उदास नहीं होते
क्योकि माँ ने सिखाया होता है
टेढ़ी मेढ़ी रोटियों को भी
खा लेना ,पेट भरने के लिए ।
- सीमा श्रीवास्तव
haan sahi kaha....maa ka kaha kaise taalen
ReplyDeleteजी...धन्यवाद उपासना जी....
ReplyDeleteमां के सिखाये इस सबक को याद रखना चाहिये...कि पेट भरने के लिये रोटियॉ खा लेना चाहिये ना कि उनके टेढे मेढे शक्ल को देख कर नाक सिकोडना चाहिये