Tuesday, September 23, 2014

माँ की रोटियाँ



माँ के हाथों से बनीं 

टेढ़ी मेढ़ी रोटियाँ 

जिन्हे परस कर 

माँ को भी होती  है
 तकलीफ ,

बच्चे खा लेते हैं प्रेम से 

क्योकि माँ ने बनाया

 होता है, उन्हें प्रेम से 

अपनी अस्वस्थता की
 हालत में भी.......


बच्चे बड़े  हो  जाते हैं ,

हर तरह की रोटियाँ खा के 

और फिर  जब उन्हें 
 नहीं मिलती 

घर से बाहर 

माँ के हाथो सी नरम  रोटी 

तो  वे  उदास   नहीं होते

क्योकि माँ ने सिखाया होता है 

टेढ़ी मेढ़ी रोटियों को भी 

खा लेना ,पेट भरने के लिए ।  

- सीमा श्रीवास्तव



2 comments:

  1. haan sahi kaha....maa ka kaha kaise taalen

    ReplyDelete
  2. जी...धन्यवाद उपासना जी....

    मां के सिखाये इस सबक को याद रखना चाहिये...कि पेट भरने के लिये रोटियॉ खा लेना चाहिये ना कि उनके टेढे मेढे शक्ल को देख कर नाक सिकोडना चाहिये

    ReplyDelete