Saturday, January 16, 2016

कुछ दिनों बाद
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कुछ दिनों बाद
चवन्नी की तरह
नकार दिया जाएगा
इश्क
रूपी  भ्रम को!

प्रेम वाले शब्दों को
समझा जाएगा प्रपंच !
दिल नहीं
स्वार्थों को
भिडाया जाएगा
आपस में!

ऐसा पहले भी
होता आया है
पर कुछ दिनों बाद
इश्क को एक
बीमारी समझ कर
इससे एहतियात बरती जाएंगी !

कुछ दिनों बाद बिना
मतलब के कोई भी
काम नहीं होगा!
- सीमा --

सतरंगी सपने

सतरंगी सपने 
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उसने सतरंगी सपनों की चादर
फैला दी थी उसकी छत पर !
एक दिन जोरों की बारिश हुई!
 रंग एक दूसरे में समा गए!
चादर चितकबरी हो गई !
 रंग टपक - टपक कर
आँगन में बिखर गए!
रंग एक दूसरे से
घुल - मिल गए थे!
यही रंग तो  सच्चे थे !
सपनों के सतरंगी रंग तो
बिल्कुल कच्चे थे!
- सीमा

उम्मीदों के दीए

उसने
उम्मीदों के 
सौ दीए 
जला रक्खे हैं 
तुम 

हवाओं को
जरा
थाम लेना !

- सीमा

-

घोंसला

दुनिया के जंगल में भटकता दिल
चाहता है एक घोंसला 
प्रेम के ताने बाने से बुना हुआ ,
मखमली एहसास लिए ।
जहाँ दुनिया की बाक़ी बातें 
बहुत पीछे छूट जाती हो
और थोड़ी देर के लिए ही सही
ये दुनिया जन्नत सी लगती हो ।
तभी तो
हर प्रेम गीत में एक कशिश होती है,
हर प्रेम कहानी में एक आकर्षण होता है,

और
तीन घंटे की एक रोमांटिक चलचित्र का
असर रहता है सालों -साल तक ।
- सीमा 



वे जरूर मिलेंगे
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वह लडका दुनिया से परे था
वह लड़की भी औरो से
अलग थी !
पर
दोनों ने एक लम्बी चुप्पी ओढ ली थी!!

कि जब
कहने को कुछ नहीं रह जाता
शब्द सरक जाते हैं!
जब
प्रेम के बीज को सही जमीन
नहीं मिल पाती तो
दूरियाँ बढ जाती हैं!

पर मौसम करवट बदलता है!
इसी आस पर मैं इंतजार करूँगी !
ये फिर मिलेंगे,
हाँ प्रेम के बीज को दोनों ने
थोड़ा -थोड़ा दबा के
रक्खा है अपनी मुट्ठी में !
वे मिलेंगे,
वे जरूर मिलेंगे
- सीमा