Tuesday, April 21, 2015

पेड़



पेड़  यूँ ही एक दिन मे बड़े  नहीं होते  ,

वो रोज सोखते  हैं पानी ,

सैकतें हैं धूप ,

मिट्टी में गहराई तक उतरते रहते हैं

 थोड़ा -  थोड़ा रोज बढ़ते  रहते है ।

पेड़ यूँ ही एक दिन में  खड़े नहीं  होते ।
 किसी ने बहुत प्यार से इन्हे 
लगाया  होता है
यह सोचकर कि एक दिन ये पेड़ बनेगे ।

इन  पेड़ो को देख के
 कितना सुकून मिलता है ना !

ये हरे -भरे पेड़
 एक दिन में खड़े नहीं होते
पर  इन्हे  काटने  के लिए
  काफी होता है 
 एक दिन !
उफ़ !  लोग क्यों भूल जाते हैं

 कि पेड़ो  को  हम नहीं 

पेड़ हमें हरा - भरा रखते हैं !!

- सीमा 









Thursday, April 16, 2015

दर्द



जब चोट लगती है तो

चलता है पता ,

    दर्द       
    औरो के पास

कितना है !!

-  सीमा 

मौसम मस्ताना

   मौसम मस्ताना 
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नवजीवन का संचार लिए ,
पत्ते-पत्ते में प्यार लिए
प्रकृति सज- धज के झूम रही
रंग -रूप पे नई निखार लिए ।
बागो में कोयल कूक रही ,
भँवरे फूलों पर फुदक रहे
मस्ती में चहक रही देखो
तितलियाँ रंगो की बहार लिए ।

हर फूल लग रहा दीवाना ,
कलियों का देखो अगड़ाना
सर - सर बहती ये पवन चली
मस्ती का संसार लिए |
- सीमा श्रीवास्तव

Tuesday, April 14, 2015

स्त्री की कामना



घर के गमलों में 
लगाना चाहती हूँ 
कुछ फूल
अपनी पसंद के ,

कुछ फूल जो
 हरदम रहें गुलजार । 

 रोज अपने
 रंग और खुशबू से 

देते रहें खुशियाँ अपार । 

जिससे महकता रहे 
मेरा घर - संसार । 

- - सीमा श्रीवास्तव 





Sunday, April 12, 2015

विघ्न विनाशक

विघ्नों से भला क्या घबराना 

इनका है काम आना और जाना । 

रख कर विश्वास चलते रहना तू 

नहीं कभी तू इनसे घबराना । 

देता है सीख रोज ये जीवन 

तेरा है काम सीखते जाना । 

पेड़ो ने क्या छोड़ा है जीना 
पत्तों का काम ही है झड़ जाना । 

बन के विध्न  विनाशक जो लहराए 

 सलाम करता है उसी को  ज़माना !!


-  सीमा श्रीवास्तव 


Wednesday, April 8, 2015

धूप - पानी

कभी धूप ,कभी पानी 
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मौसम को  देखो आज 

ये बच्चों सा हो गया है । 

पल भर में हॅस रहा है ,

पल भर में रो रहा है !!

- सीमा 




रंग

रंगना चाहा जिसको 
 रंग में मैंने अपे

था वो किसी दुसरे ही 
रंग में रंगा हुआ !!

-  सीमा 

Sunday, April 5, 2015

इस जिंदगी में

    
   इस जिंदगी में !
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बैचैन सी एक प्यास है 
इस जिंदगी में !

किस चीज की तलाश है 
इस जिंदगी में !

गम और खुशियो में 

बँट रहे है हम 

रंगमंच के किरदार से 

इस जिंदगी में !

सोचा न जो हो जाता है वो 

कैसे ,कैसे हालात है 
इस जिंदगी में !

चाहा था जो वो  न
 मिल सका है  पर 

कोशिशो की हर रात है 

इस जिंदगी में !

आए है नादान से
हम तो यहॉ 

रहते है  मेहमान से 

इस जिंदगी में !

भगवान से मिलने की 

 जिद तू छोड़ दे  

 कि इंसान ही भगवान है 

इस जिंदगी में !

-  सीमा श्रीवास्तव 

( इसी तरह की कुछ कविताओ के साथ मैंने कविता की दुनिया में कदम रखा था । इसे मैंने सत्रह साल की उम्र में लिखा था )





किस्मत

    किस्मत
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घर-.परिवार,पडोस,
नौकर,चाकर,दोस्त
सब किस्मत मे लिखा होता है ना...
घर-बार...,रुपया-पैसा
.बल,बुद्धि,स्वास्थ,बच्चे | 

ओह! जुड़ते जाते है कितनी  बातो से हम 
और हर जगह बातें  होती है किस्मत की

सच अपने हाथो से अब क्या-क्या गढे
चलो सारे दोष किस्मत पर मढे !!!
- सीमा...

Saturday, April 4, 2015

कश्ती

      कश्ती
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लहरो से अपनी
 दोस्ती सी  गई है !
जब से ये जिंदगी
 कश्ती सी हो गई है !!

- सीमा श्रीवास्तव 


Friday, April 3, 2015

कश्ती




जिंदगी हिचकोले खाती रही ,

एक लम्बा सफर हमने 

कश्ती में कर लिया तय  !!!

-  सीमा श्रीवास्तव