Friday, May 12, 2017

जुदाई

क्यों छीन लिए जाते हैं
प्रेम वाले शब्द
क्यों जुड़ने की जगह
जुदाई जगह ले लेती है!
हर बार पौधों की जगह
बदलने से उनके मुरझाने का डर रहता है!
ठीक उसी तरह प्रेम जब जड़े फैला ले तो
नासमझी मत करो।
किसी की जिंदगीं है ये

इससे  दिल्लगी मत करो!
- सीmaa

Tuesday, May 9, 2017

पेड़

वो एक उदास रात थी
जब तुम्हारी शाखाओं को बाँहें समझ
वो नन्हीं चिड़िया आराम से सो गई थी
आँधियों से बेखौफ
बहुत भरोसा था उसे तुमपर
तुमने भी उसके भरोसे की लाज रखी
और एक रिश्ता बन गया विश्वास का
चिड़ियाँ की रातें अब उदास नहीं थी!
उन शाखाओं में कितनी ही जिंदगियाँ थी!
सब मिल कर रहते और पेड़ का आभार व्यक्त करते
पेड़ भी बहुत खुश था कि वो अकेला नहीं
कितनी चहचहाहट थी सुबह से शाम तक!
बस  रात को पेड़ देर से सोता
सबकी देखभाल करके!
पेड़ और चिड़ियों का रिश्ता तो सदियों पुराना है!
पेड़ के दिल में  ही तो चिड़ियों का वास है!
- सीmaa

Tuesday, May 2, 2017

बचपन के दिन

नहीं पता क्यों
मेरी क्लास का सबसे साँवला और
घुंघराले बालों वाला मेरी अंग्रेजी शिक्षिका का
गुस्सैल बेटा मेरा ध्यान क्यों खींचता था!

उसकी बड़ी - बड़ी आँखें
कभी -कभी डरावनी भी लगती थी
फिर भी सारा ध्यान उसी पर!
एक दिन कबड्डी खेलते समय उसे
जबर्दस्त चोट लगी
हाथ - पैर सब छील गया
उसे चोट लगी और मेरी आँखों में आँसू
दौड़ के अपनी टीचर को बुलाने गई पर
फर्श पर पानी गिरा था
मेरे पैर  फिसले और
मैं चित हो गई

और वो निर्मोही
इतनी चोट लगने के बाद भी
मुझे देखकर
ठहाके लगा के हसे जा रहा था!
- सीmaa

बचपन के दिन

उस दिन
झूले से उतरते समय
मेरी स्कर्ट
झूले की करी में फंस कर
अच्छी-खासी फट चुकी थी!

ठीक उसी वक्त
तुम दौड़ कर बरामदे में टंगी
अपनी बहन(मेरी सहेली) की
जींस ले आए थे

और फिर
जब मैं उसे लौटाने
तुम्हारे पास आई तो
तुमने कहा
कपड़े ऐसे पहनने चाहिए
जो उलझे नहीं
फंसे नहीं।

आज भी
दुपट्टे को संभालते समय
साड़ी की आँचल ठीक करते समय
तुम अनायास ही याद आ जाते हो

बस ग्यारह की ही तो थी मैं
उस समय
और तुम तेरह के!
कुछ बातें
दिल के करीब रहती हैं
कुछ नसीहतें
हमेशा याद रहती हैं!
- सीmaa