Monday, September 28, 2015

प्रेम



चाँद,तारे,
समंदर,
बादल

बस शब्द भर 

रह जाते हैं,

किसी का प्रेम जब
रेत के महल सा


भरभरा जाता है !!


- सीमा

प्रेम


वो छोड़ आई थी 
उस  शहर को 
उसकी यादों को भी 
दफ़न कर आई थी !

 वो भर लेना 
चाहती थी 
अपने दामन को 
नए खुशबुओं से ,

मिटाने चली थी 
हर याद को 

लेकिन कुछ सूखे पत्ते 
उस पेड़ से उतरकर 
बड़ी ख़ामोशी से 
उसके साथ 
चले आए थे 
जहां वह  यादो की 
 गट्ठर बाँध आई थी !

साथ ही चली आई थी 
वो सोंधी ,सोंधी मिट्टी 
जिसमे वो दबा आई थी 
प्रेम की हर निशानी को !!

हाँ ,प्रेम अब भी 
मौजूद है उसके 
आसपास !!

- सीमा 



जिंदगी



मैने 
शब्द - शब्द 

जिंदगी से
 भर दिया था !
वह जितना
 समझा
उतना ही 
जी पाया !!

- सीमा

खामोशी

उसकी खामोशी की
वजह ढूंढते,ढूंढते,

मैं कहाँ से कहाँ
भटकती रही !!
कि ये
खामोशी भी 

कितनी उलझने
दे जाती हैं !!

- सीमा

रफ्तार



जिंदगी की रफ़्तार 

बड़ी तेज है,

कल यादों को देखा 

दूर बैठ के 

सिसकते मैंने!!

- सीमा

Thursday, September 24, 2015

मन की धरती

तुम्हें
ढूंढते,ढूंढते
खुद को
 पा लिया
 मैंने !!
मन की 
इस धरती पर
कितना कुछ 
उगा लिया
 मैंने !!

- सीमा

प्रेम की डाली

अभी,अभी देखा है
एक डाली को
चरमरा के
टूटते हुए !

कल तक
उसकी छाँव तले
कुछ प्रेमी युगल
बैठा करते थे !!

- सीमा

शब्द

मैने शब्द - शब्द
जिंदगी से भर
दिया था !

उसने जितना
 समझा
उतना ही 
जी पाया !!

- सीमा

Friday, September 18, 2015

अधूरापन


जब अधूरापन
काटता है,
मन भागता है
ओर
लपेट लाता है
और कुछ !!
- सीमा

आईना



 कभी,कभी
खुद को
समझने की खातिर 
कितनी बार
आईना देख
जाते हैं हम !!
- सीमा

शब्दों की करतूत



देखो हरकत होने लगी
उस मुरदा शरीर में,
तुमने जब धीरे से
कुछ शब्द बुदबुदाए
उसके हाथों को 
अपने हाथों में लेकर !
और कुछ शब्दों की ही
करतूत थी
जिसने बेजान
कर दिया था उसे। !!
- सीमा

घोंसला



ठीक चिड़ियों की तरह
मन के भीतर भीतर
हम एक घोंसला
बनाते रहते हैं
फिर 

चारों तरफ की भीड़ से
उब कर 
 एक दिन
अपने इसी नीड मे
खुद को
समेट लेते हैं हम !!
- सीमा

Saturday, September 12, 2015

भागदौड़



बस अपने हौसले की लाठी पकड़ 
रोज निकल पड़ते  है हम !!
देखे इस भागदौड़ में 
कितनी देर टिकते हैं हम !!

- सीमा 

चाँद

सितारों की
ख्वाहिश  थी,

पर चाँद पे 

अटक कर 

रह गए हम !! 


- सीमा

सहजता

      सहजता 
>>>>>>>>>>>>>>

सहजता के अभाव से ही
कभी,कभी
असहज हो जाते हैं,
 रिश्ते !!

एक दूसरे से
बढने लगती हैं दूरियाँ !!

मन उचटने लगता है !!
दिल की जगह
हावी हो जाता है
दिमाग !!

रिश्ते निभाने हो तो
राधा-कृष्ण को गुणो !!

- सीमा

अधूरापन



जब अधूरापन
काटता है,

मन भागता है
ओर 

लपेट लाता है

बहुत कुछ !!

- सीमा