सोचो तो कुछ नहीं था
ना प्यार, ना नफरत
ना ख्वाब, ना कोई हकीकत
बस एक मंच था और
हमें जारी रखना था कोई नाटक
दर्शकों की मांग पर
ये दिल दिमाग की सारी
मेहनत थी
सारा जुगाड़ वक्त ने लगाया था।
- सीmaa
Friday, April 28, 2017
नाटक
Wednesday, April 19, 2017
ख्वाब
नहीं पता कौन हो तुम
कि ख्वाबों के आसमान से
अचानक ही हकीकत की जमीन पर
उतर आए हो तुम!
फिर भी ख्वाब ही क्यों लग रहे हो तुम!
नहीं जानती मैं सपने में हूँ
या सच को सपना समझ रही हूँ!
नहीं पता कौन हो तुम!
ख्वाब हो या हकीकत हो तुम!
- सीमा
#ख्वाब
#हकीकत
खुशबू
तुम अक्सर मुझे अकेला छोड़ देते हो
किनारों पर
और मैं बह कर तुम्हारे पास चली आती हूँ
कि तुम्हारा हर पता मालूम है मुझे!
कि तुम्हारी खुश्बू मेरे पास ही रहती है
और वो हाथ पकड़ कर मुझे
पहुँचा देती है तुम तक!
मुझे पता है इसे पढ़ने के बाद
एक फीकी सी मुस्कान होगी
तुम्हारे लबों पे और
इसी मुस्कान पर मैं
मर - मिटती हूँ हर बार ॥
- सीमा
Tuesday, April 18, 2017
शून्य
मैं जब शून्य हो चुकी थी
तुम अंक बन के
मेरे पास आए।
अब लौटने से पहले
एक बार मुड़ के देख लेना
कि तुम्हारे कितने अंक
मेरे पास रह गए हैं
पर तुम नहीं तो
ये अंक भी
शून्य हैं
मेरे लिए
💝
- सीमा
Thursday, April 13, 2017
दु:ख की नदियाँ
हम सभी के पास दु:ख की
छोटी - छोटी नदियाँ हैं
आओ हम सभी
सागर में अपना दर्द बहा आएं
कि सागर का दिल
बहुत बड़ा है!
- सीमा
चिड़ियाँ
किसी कहानी में मैं हर बार
एक चिड़िया बनना चाहूँगी
कि चिड़िया होना
मुझे अच्छा लगता है।
जिंदगी छोटी ही सही
अपनी पसंद की हो
मैं चिड़िया बन कर ही
तुम्हारी कहानी का भी
हिस्सा बनुँगी!
तुम क्या बनना चाहोगे
ये तुम जानो!
- सीमा
खुशी
हम खुद को खुश करने के लिए
बनाते हैं एक तस्वीर।
हम खुद को
खुश करने के लिए लिखते हैं एक कविता।
सुनते हैं मनपसंद गीत-संगीत
अपने मन - मुताबिक दोस्त बनाते हैं।
खुद की खुशी के लिए बनते हैं, सँवरते हैं।
खरीददारी करते हैं।
अपने फूलदानों में रखते हैं ताजे फूल
कि देख कर खुशी हो।
पालतू जानवर, पंछी सब हमारी ही खुशी से
रहते हैं हमारे साथ।
खुद को खुश रखना उतना ही जरूरी है
जितना जीने के लिए हवा और पानी!
फिर भी हम इसे रोज भूल जाते हैं।
- सीमा
Wednesday, April 12, 2017
ख्याल
मैं बेतहाशा भागती थी
ख्यालों में
कि वो मेरी पहुँच से दूर था!
मैं घूम कर लौट आती थी
अपने खुरदुरी सतह पर
और महसूस करती थी
सिर्फ उसकी कोमलता!
- सीमा
Monday, April 10, 2017
प्रेम उदास है
तुम्हारे शब्द
कितने पवित्र थे ना
मैं हर बार कुछ और
माँग लेती थी।
उन दिनों हम दूर होकर भी
बहुत पास थे ।
तुम्हारी स्नेह और
प्यार भरी बातों से
मेरे अंदर पनपने लगा था प्रेम।
मैंने कितनी दफे
प्रेम के पाँव के
कोमल स्पर्श को
महसूस किया।
महीने चढ़ने लगे
बहुत दिनों तक
हमारा संवाद नहीं हुआ।
मैं खानाबदोश सी
तुम्हें ढूंढती रही
कहाँ,कहाँ!
झेलती रही तन्हाई!
वक्त की गोलाई बढी
मैने बड़े उदास से
दिखने वाले
समय को जन्म दिया।
बड़ा गुमसुम सा
रहता है वो।
तुम आओ और
इसे
अपना प्यार भरा
स्पर्श दो
कि
इतना हक तो है उसका
तुमपर
कि ये उदासी भी तो
तुम्हारी ही देन है!
- सीमा
Saturday, April 8, 2017
पेड़
मैंनें देखा है पेड़ों को करवटें लेते हुए
कि कभी-कभी उनका भी जिस्म अकड़ जाता है!
मैंनें देखा है उन्हें बाँहें फैला कर
अंगड़ाई लेते हुए,
सुबह की धूप में
खिलखिलाते हुए और
दोपहर की धूप में निढ़ाल होते हुए।
मैं पेड़ों को रोज निहारती हूँ।
उन्हें दुआएँ देती हूँ।
मेरे घर के ठीक पीछे खड़ा
पीपल का पेड़ अभी बहुत उदास है।
उसके सारे पत्ते झड़ गए हैं।
उसकी टहनियाँ नंगीं हो गईं हैं
वो हरी पत्तियों को
जल्द से जल्द लौट आने का
निवेदन कर रहा है!
पत्तियाँ जल्द ही सज जाएगी टहनियों पर
पीपल चैन की नींद सोएगा कुछ दिन!
- सीmaa
Monday, April 3, 2017
बुदध
मैं जानती हूँ तुम समय से पहले ही समझदार हो गए थे
तुम्हें दुनिया की हर ऊँच-नीच नापनी थी,
तुम्हें अपने मापदंड बनाने थे,
दुनिया को बदलने की हिम्मत जुटानी थी!
तुम बुद्ध हो जाना चाहते थे!
तुम्हें रहस्यों के भीतर समाना आता है
और तुम लौटते हो वहाँ से शून्य होकर
और मैं उसी शून्य में समा जाना चाहती हूँ हर बार
ताकि तुम्हें फिर से जिन्दा कर सकूँ!