Thursday, April 14, 2016

बादल और नदी

वो बादल था , वो थी एक नदी !
जब - जब बरसता बादल नदी इतराती , अपना विस्तार पाती !
फिर कुछ दिनों तक बादल बरसा ही नहीं !
नदी उदास रहने लगी
बादल भी बरसना चाहता था पर वो मजबूर था !
कि बारिशो के मौसम जा चुके थे ! बादल को लौटना था अपने गाँव वो उदास मन से निकल चुका था 
नदी शांत हो गयी थी ! कुछ दिन तड़पने के बाद !
मौसमो का आना -जाना यूँ ही लगा रहता है !
दोनों यह समझ चुके थे ! (बादल और नदी दोनों समझदार थे )
- सीमा
ढाई ही अक्षर
********************
छिपा था प्यार जिसमें वो
थे ये ढाई ही अक्षर,
बसा था दिल में तेरे जो वो थे ये ढाई ही अक्षर।
बहक के जब जुबां से शब्द कुछ ज्यादा निकल गए, तमाशा बन गए देखो फिर वही ढाई ये अक्षर ।
जमा कर लो मुहब्बत की इस मीठी जुबानी को देगें राहत दर्द में हमारे ढाई ये अक्षर ।
- सीमा

Thursday, April 7, 2016

     दुपट्टे 
************
लड़कियाँ टाँकती हैं गोटे,
लटकाती हैं छोटी -छोटी लडियाँ,
गूंथती हैं तार,सीप,मोती ।
बनाती हैं झालरें
अपनी पसंद के ।
लड़कियाँ ओढ लेती हैं
सारी सुन्दरता,
बिखेर देतीं हैं
अपने मन के
चुटुर-पुटुर
सारी दुनिया में
और खुश हो लेतीं हैं।
लडकों का मन
अटकने लगता है
उनकी लडियों में,
मोतियों में,
रंग-बिरंगे झालरों में...
कभी -कभी
लड़कियाँ बाँध लेती हैं
गाँठ अपने दुपट्टे में
कि कितनी ही लडियाँ
टूटती रहती है
लहरा-लहरा के,
कितने ही
सीप,मोती
उघड़-उघड़ के
बिखर जाते हैं ।
सुनो ,लड़कियों
तुम अपने
दुपट्टों को
संभाल कर रखना।
इनकी खूबसूरती को
बरकरार रखना।
~ सीमा
   वह लिखती रही 
*************************    

वह लिख जाती थी
बहुत कुछ
खिंचाव,लगाव,प्रेम,
बेचैनी,खुशी,गम,
मिलन, जुदाई दर्द।
वह सदियाँ लिखती थी
और सो जाती थी उसमें,
वह सपने लिखती थी
और खो जाती थी उसमें ।
उसने शब्दों के नाम
जिंदगी लिख दी ।
वह रंगती गयी
हर किस्से
अपनी पसंद की
स्याही से ।
वह जीती रही
 एक साथ
कितनी ही
 जिंदगीयों को ।

- सीमा

Wednesday, April 6, 2016

कहो आज क्या लिखूँ

कहो आज क्या लिखूँ?
^^^^^^^^^^^^^^^^^^
कहो आज क्या लिखूँ?
मन में पसरा खालीपन लिखूँ 
या तुम्हारे प्रेम की घनी छाँव लिखूँ ।
उम्मीदों से भरे दिन -रात लिखूँ 
या वीरानियों से उपजी शाम लिखूँ।
अपनी दबी सी हँसी में छिपे
एहसास लिखूँ या
तुम्हारी खिलखिलाहटों में छुपे
जिंदगी के राज लिखूँ।
सोचती हूँ मैं कुछ ना लिखूँ
बस बारम्बार तुम्हारा
नाम लिखूँ।
-सीमा