Thursday, April 7, 2016

     दुपट्टे 
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लड़कियाँ टाँकती हैं गोटे,
लटकाती हैं छोटी -छोटी लडियाँ,
गूंथती हैं तार,सीप,मोती ।
बनाती हैं झालरें
अपनी पसंद के ।
लड़कियाँ ओढ लेती हैं
सारी सुन्दरता,
बिखेर देतीं हैं
अपने मन के
चुटुर-पुटुर
सारी दुनिया में
और खुश हो लेतीं हैं।
लडकों का मन
अटकने लगता है
उनकी लडियों में,
मोतियों में,
रंग-बिरंगे झालरों में...
कभी -कभी
लड़कियाँ बाँध लेती हैं
गाँठ अपने दुपट्टे में
कि कितनी ही लडियाँ
टूटती रहती है
लहरा-लहरा के,
कितने ही
सीप,मोती
उघड़-उघड़ के
बिखर जाते हैं ।
सुनो ,लड़कियों
तुम अपने
दुपट्टों को
संभाल कर रखना।
इनकी खूबसूरती को
बरकरार रखना।
~ सीमा

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