Tuesday, December 22, 2015

रवानी

वो इश्क की
रवानी थी
उसके एहसासों में
गर्मी थी!!
इस सर्द मौसम में 
कुछ जम सा
गया है भीतर !!

(रवानी -प्रवाह )

- सीमा ...

Friday, December 18, 2015

डायरी


अब डायरियाँ 
सहेज नहीं पातीं 
ज्यादा उठा पटक !
वो शांत 
रहने लगी हैं !

पिछले पतझर में 
उसने झाड़ दिए थे 
अपने सारे पीले पत्ते !

दफ़न किया हुआ 
हर शब्द 
अब साँसे लेने  लगा है  !

डायरियों ने अपना 
लिहाफ झाड़ लिया है  !

शब्द  परिंदो की तरह
अब  बेख़ौफ़ 
मंडरा रहे हैं 
 इधर - उधर    !!

- सीमा 

 पीले पत्ते = पीले पन्ने 






Thursday, December 17, 2015

अनमोल धरोहर


अनमोल धरोहर 
***************

ओह ! तुमने कितने ही 
हसीन  पल खो दिए !
जिंदगी ने कई बार 
मौका दिया 
पर तुम तो 
रफ़्तार पसंद  हो ना !

मुझे फिक्र है
 तुम्हारे बुढ़ापे की !
(जाने  मै  तब 
रहूँ या ना रहूँ !!)

 इन 
बर्फीली हवाओ  वाले 
मौसम में तब 
तुम्हारे पास 
नहीं होगी 
यादो की अंगीठी !!

हाँ ,यही यादें तो 
हमे गर्म रखती  हैं 
 ठिठुरती सर्दियों में !

ये  खट्टी ,मीठी यादें 
अनमोल धरोहर हैं !

आओ कुछ  
खट्टे ,मीठे पलों को   
यादों के खाते में 
जमा कर लें !

सर्दियों के 
दस्ताने और जुराबों  
के साथ इन्हे भी 
 संभाल कर रख लें  !!
- सीमा 



गुलाबी पंखुरियाँ

गुलाबी पंखुरियाँ
****************
उसे कहा गया
कि इसी जगह पर
वह मिलेगा 
तुमसे !
वह इंतज़ार
करती रही !
एक दिन उसी जगह पर
सबने
एक समाधि देखी !
कुछ दिनों बाद
उसे भी
देखा गया !
वह आया था
दो बूँद आँसू
और हथेली पर
गुलाबी पंखुरियाँ लेकर !!
- सीमा

Wednesday, December 16, 2015

भ्रम


रिश्ते ख़त्म नहीं होते
लम्बी चुप्पी से !
बस कभी ,कभी
मन अनमना सा हो
जाता है !
अपनी परेशानियों को
नहीं बाँटना चाहता
अपने बहुत
अजीज मित्रो से भी !
हम सब इक से
नहीं होते ना !
तो कही ना कही
गुंजाईश होती है
नकारे जाने की !!
और इस दरम्यान 
पसर जाती है एक 
खामोशी !!
जो भ्रम पैदा करती है !!
- सीमा 


Saturday, December 12, 2015

तेरी मर्जी

मुझे पता है
तुम्हारी मर्जी के बगैर
एक पत्ता भी नहीं हिलता !
और मै बेसब्र अपनी  हर
परेशानी में तुम्हे
झकझोर देती हूँ
कितने  सवाल कर जाती हूँ
 तुमसे !
- सीमा 


Friday, December 11, 2015

गुलाबी पंखुरियाँ


उसे कहा गया 
कि इसी जगह पर 
वह मिलेगा 
तुमसे !

 वह इंतज़ार 
करती रही !
आज उसी जगह पर 
सबने 
एक समाधि देखी   !

कुछ  दिनों बाद 
उसे भी 
देखा गया   !
वह आया था 
 दो बूँद आँसू 
और हथेली पर 
गुलाबी पंखुरियाँ लेकर !!

- सीमा 

Thursday, December 10, 2015

 ईशान कोण
***************
इस खानाबदोश जिंदगी में 

कितनी जगह स्थापित किया 
मैने अपना पूजा घर 
और हर तबादले पर 
 जगाती रही 
भगवान  को ,
आग्रह किया 
साथ चलने को । 
कितनी दिनों तक 
कूट के डब्बो में 
बंद रहे भगवान 
और मै व्याकुल होती रही । 

नए घर में फिर 
सजाती ईशान कोण 
पुनः विराजते  भगवान 
और मन को तसल्ली मिलती । 

अचानक ह्रदय  परिवर्तन हुआ !
 प्रभु ह्रदय में 
बसने लगे ! 
अब मै ईशान कोण  क्यूँ ढूँटती
ह्रदय से हटा कर 
उन्हें कहाँ  रखती !!

- सीमा




Wednesday, December 9, 2015

मुट्ठी

तुम्हारी तरफ

एक भी उगुँली उठे


यह तुम्हें बर्दाश्त नहीं था !


इसलिए मुट्ठियों भींच


रखी हैं मैंने!!



-  सीमा 

Saturday, November 7, 2015

लिबास

खुशियाँ हर  दिन  अलग ,अलग लिबास में आती हैँ । 

हीर


उसे हीर से 
बेपनाह मुहब्बत थी!
वह हर दिन मुझे उसी
नीले सिल्क के कुरते में 
नजर आता ।
साफ सुथरी ,
चमचमाती ।
पता चला
जुदा होने से पहले
हीर सौंप
गईं थी उसे
ये ( कुरता)
यादों की
अमानत !!
और
उसे एक पल भी
मंजूर ना था
उसकी यादों से
दूर रहना !!
- सीमा

पौधा



अपने आसपास 
तेजी से ऊँचाई की ओर बढ़ते 
पौधों को देख 
एक पौधा जरा सा
चबरा गया !
तब धरा ने उसे समझाया 
"इन जंगली पौधों की 
ऊँचाई पर मत जाओ
तुम अपने गुणों को देखो
तुम्हारी एक निश्चित रफ्ताहै !
कि तुममें कितने  ही 

फूलों और फलों का संसार है!!"


- सीमा

Saturday, October 31, 2015

बेचारगी


तमाम बेचारगी
उसके माथे पर
लिखी थी!!
कि ये शहर था
तानाशाहों का !!
-सीमा

स्क्रिप्ट


वह हार कर
बैठ गई थी
झल्लायी सी ।
सोचा अब कभी 
नहीं उठूंगी ।
शरीर त्याग दूँगी ।

पर तभी उसकी गोद में
आ गिरी एक घायल चिड़ियों
रक्त से सनी हुई
वह हड़बड़ा कर उठी |

पत्ते का मलहम बनाया
और लग गयी उसकी
मरहम पट्टी करने में ।

ये ऊपरवाले की
लिखी हुई स्क्रिप्ट थी !!
-सीमा

Wednesday, October 14, 2015

चीख

नहीं मिल पा रही वो खुशी
जितनी जिंदगी को जिए जाने
के लिए चाहिए ।
बाहर से आने वाली
कुछ चीखें
घर के खाली बर्तनों में
समा गई है!
दीवार की दरारों में
घुस गईं हैं।
कि रक्त सबका एक
सा ही होता है और
मेरे रक्त ने मुझे
भेदभाव करना नहीं
सिखाया
इसलिए हर बार
किसी की चीख
मुझे दर्द देजाती है
और रोज ही कुछ
घंटों का मौन रहता है
मेरे साथ !!

- सीमा

ऊपरवाला

आज एक गहरी खामोशी
पसरी थी
मेरे आसपास !
ना तो आसमान की ओर
नजरें थीं ,
ना जमी पर थी निगाहें !
किसी से ना कुछ कहना था !
किसी से ना कुछ सुनना था !
वो खामोश सा मेरे अंदरस्क्रिप्ट
उतर गया था आज !
हाँ आज वह मेरे बहुत
पास था
क्योंकि वह भी बहुत
बेचैन था
कुछ दिनों से !!

वो - ऊपरवाला ( खुदा,रब ,भगवान )
- सीमा

Sunday, October 4, 2015

उसके होने से

उसके होने से ,
उदास शब्दों में भी 
जिंदगी थी !

उसके जाने से 
 मानो शब्द भी 
बेमानी हो गए हों! 

- सीमा 

Friday, October 2, 2015

अच्छी हूँ


दर्द की पीड़ा से
आँसू छलकने ही
वाले थे !

तभी एक
फोन कॉल आया
कैसी हो ?

हँसते हुए मैंने
कह दिया.....

ठीक ही हूँ!

उसने कहा
ऐसे नहीं कहते
अच्छी हूं कहना !

सुनने वाले को भी
अच्छा लगता है !!

चलो
अब से
अपने दर्द को
अपने पास ही रखूंगी
किसी से कहूँगी नहीं !!

क्या पता किसी ने
थोड़े से सुकून के लिए
मुझे कॉल किया हो !!
- सीमा

Monday, September 28, 2015

प्रेम



चाँद,तारे,
समंदर,
बादल

बस शब्द भर 

रह जाते हैं,

किसी का प्रेम जब
रेत के महल सा


भरभरा जाता है !!


- सीमा

प्रेम


वो छोड़ आई थी 
उस  शहर को 
उसकी यादों को भी 
दफ़न कर आई थी !

 वो भर लेना 
चाहती थी 
अपने दामन को 
नए खुशबुओं से ,

मिटाने चली थी 
हर याद को 

लेकिन कुछ सूखे पत्ते 
उस पेड़ से उतरकर 
बड़ी ख़ामोशी से 
उसके साथ 
चले आए थे 
जहां वह  यादो की 
 गट्ठर बाँध आई थी !

साथ ही चली आई थी 
वो सोंधी ,सोंधी मिट्टी 
जिसमे वो दबा आई थी 
प्रेम की हर निशानी को !!

हाँ ,प्रेम अब भी 
मौजूद है उसके 
आसपास !!

- सीमा 



जिंदगी



मैने 
शब्द - शब्द 

जिंदगी से
 भर दिया था !
वह जितना
 समझा
उतना ही 
जी पाया !!

- सीमा

खामोशी

उसकी खामोशी की
वजह ढूंढते,ढूंढते,

मैं कहाँ से कहाँ
भटकती रही !!
कि ये
खामोशी भी 

कितनी उलझने
दे जाती हैं !!

- सीमा

रफ्तार



जिंदगी की रफ़्तार 

बड़ी तेज है,

कल यादों को देखा 

दूर बैठ के 

सिसकते मैंने!!

- सीमा

Thursday, September 24, 2015

मन की धरती

तुम्हें
ढूंढते,ढूंढते
खुद को
 पा लिया
 मैंने !!
मन की 
इस धरती पर
कितना कुछ 
उगा लिया
 मैंने !!

- सीमा

प्रेम की डाली

अभी,अभी देखा है
एक डाली को
चरमरा के
टूटते हुए !

कल तक
उसकी छाँव तले
कुछ प्रेमी युगल
बैठा करते थे !!

- सीमा

शब्द

मैने शब्द - शब्द
जिंदगी से भर
दिया था !

उसने जितना
 समझा
उतना ही 
जी पाया !!

- सीमा

Friday, September 18, 2015

अधूरापन


जब अधूरापन
काटता है,
मन भागता है
ओर
लपेट लाता है
और कुछ !!
- सीमा

आईना



 कभी,कभी
खुद को
समझने की खातिर 
कितनी बार
आईना देख
जाते हैं हम !!
- सीमा

शब्दों की करतूत



देखो हरकत होने लगी
उस मुरदा शरीर में,
तुमने जब धीरे से
कुछ शब्द बुदबुदाए
उसके हाथों को 
अपने हाथों में लेकर !
और कुछ शब्दों की ही
करतूत थी
जिसने बेजान
कर दिया था उसे। !!
- सीमा

घोंसला



ठीक चिड़ियों की तरह
मन के भीतर भीतर
हम एक घोंसला
बनाते रहते हैं
फिर 

चारों तरफ की भीड़ से
उब कर 
 एक दिन
अपने इसी नीड मे
खुद को
समेट लेते हैं हम !!
- सीमा

Saturday, September 12, 2015

भागदौड़



बस अपने हौसले की लाठी पकड़ 
रोज निकल पड़ते  है हम !!
देखे इस भागदौड़ में 
कितनी देर टिकते हैं हम !!

- सीमा 

चाँद

सितारों की
ख्वाहिश  थी,

पर चाँद पे 

अटक कर 

रह गए हम !! 


- सीमा

सहजता

      सहजता 
>>>>>>>>>>>>>>

सहजता के अभाव से ही
कभी,कभी
असहज हो जाते हैं,
 रिश्ते !!

एक दूसरे से
बढने लगती हैं दूरियाँ !!

मन उचटने लगता है !!
दिल की जगह
हावी हो जाता है
दिमाग !!

रिश्ते निभाने हो तो
राधा-कृष्ण को गुणो !!

- सीमा

अधूरापन



जब अधूरापन
काटता है,

मन भागता है
ओर 

लपेट लाता है

बहुत कुछ !!

- सीमा

Tuesday, August 25, 2015

बुद्ध


कितनी बार 
मन भागता है 

इस संसार से

और बिना बुद्ध बने 


फिर लौट आता है


इस मायावी संसार में !!


- सीमा

जाने कब तक


जाने कब तक
चलती रहेगी
खुद को
संवारने की
तैयारियाँ,

कहीं जिंदगी ना
कम पड़ जाए
खुद को
पूरा करते,करते !!

- सीमा

Monday, August 24, 2015

एहसास



एहसासो के महकते 
गुलशन में जब 
कदम रखोगे 
तो एहसास 
होगा कि  
ये एहसास भी
 क्या खूब होते हैं 
अगर बयाँ कर दो तो !!

- सीमा 

Friday, August 21, 2015

उदासी

कभी,कभी 
छुपा के 


रख देती हूँ 

अपनी उदासियों को
किसी की महफ़िल में ,


जगमगा उठता है वह
किसी कोने में 


रोशनी बनकर !!


-सीमा

हमसफर


तुमने कहा कि 
मुझे जुल्फों में 
बसा लो ,
मैंने कहा 
उलझ जाओगे !

तुमने कहा 
मुझे आँखों में 
छुपा  लो  ,
मैंने कहा 
 कैद हो जाओगे !

तब तुमने 
 पकड़  लिया
 मेरा हाथ !

मै भी चलती रही 
उन  हाथो को 
थाम  के ! 
जिंदगी
सुहानी
लगने  लगी !

पर जाने कब 
बंधन ढीले 
पड़ गए !

तुम कही 
और थे ,
मै कही 
और थी !!


सच ,हमसफ़र बनना 
इतना आसान 
नहीं होता

कि  मंजिले और ठिकाने 
जाने  कब बदल जाये !!
- सीमा 



जिंदगी की नदी



तुम्हें शब्दों में 
समेटूँ तो

बुरा तो 
नही मानोगे

कि तुम्हारे 

आसपास ही कहीं 

जिंदगी की नदी 

बहती है !!

- सीमा

बेमकसद



एक दिन जो

बेमकसद से गुजरा,

कितनी उदासियों को

इकट्ठा कर गया !!

- सीमा

Wednesday, August 19, 2015

बाँसुरी



उसने मन को 
खोखला 

कर लिया था,


दूर कहीं 


बांसुरी की धुन 
बज रही थी !!


- सीमा

जंगल

     

जंगलों को देखा है 

बड़ी तेजी से


पनपते मैंने ,


एक पौधे को

गमले में उगाना


जरा मुश्किल सा लगा !!


- सीमा

Tuesday, August 18, 2015

बादल और नदी


वो बादल था ,
वो थी एक नदी !
जब - जब बरसता बादल 
नदी इतराती ,
अपना विस्तार पाती !

फिर कुछ दिनों तक 
बादल बरसा ही  नहीं !

नदी उदास रहने लगी ,
बादल भी बरसना 
चाहता था 
पर वो मजबूर था !

कि बारिशो के मौसम 
जा चुके थे !

बादल को लौटना था 
अपने गाँव 
वो उदास मन से 
निकल चुका था 
बूँदो को खुद में 
समेट के !

 नदी शांत हो 
गयी थी !
कुछ दिन 
तड़पने के बाद !

मौसमो का 
आना -जाना
 यूँ ही लगा 
रहता है !

दोनों समझ 
चुके थे !

(बादल और नदी 
दोनों समझदार थे !!)
- सीमा 

Monday, August 17, 2015

डोर


पतंग को ढ़ील 
दो तो वो 
इधर ,उधर 
भागती है ,
आजाद समझ 
बैठती  है 
खुद को !

पर अचानक 
एक झटका
 लगता है !

उसे याद आ 
जाता है कि 
वो एक डोर से 
बँधी  है !

बहुत बार 
हम भी
पतंग की 
तरह उड़ने लगते हैं
पर

हमारी डोर 
हमें कस के
पकड़ रहती है। 

- सीमा 










हवा

   हवा
*********
हवाएँ ले के चलती हैं,
खुशी, उदासी, प्रेम ,
दीवानापन !
जाने कब , क़्या
हमसे टकरा जाए !!
- सीमा

नदियाँ


नदियाँ बहा कर
लाती हैं अपने साथ बालू
उन्हें पता होता है कि
हर इंसान को
रखनी पड़ती है
एक मकान की नींव ,
हर किसी को
 होती है!
एक छत की
जरूरत !
सागर मे
मिलने से पहले
वो कितने इंतजामात
कर जातीं हैं !

ये नदियाँ
लहरें  बनके
फिर भी
लौट ,लौट के
आती हैं !!


- सीमा

बेवक्त

जो जिंदा है मुझमें
वो तुम हो .....
वरना बे वक्त
मेरी मौत होनी
तय थी !!
- सीमा

Sunday, August 16, 2015

नून, तेल, लकड़ी



प्रेम कहानी में
एक दीवानी होती है ,

एक मस्ताना होता है 
दोनों के बीच आता है 
इश्क़ आता है 
 सीना ठोंक के !

हवाओ में बिखर जाती है 
इश्क़ की खुशबू !

मस्ताना करता है 
बहकी ,बहकी बातें  ,
दीवानी और भी 
दीवानी हो जाती है !

पर इश्क़ से  ही तो 
नहीं भरता  ये पेट !
तब मस्ताना 
उगाता है मक्का ,
बिखेरता है 
सरसों के बीज !

खेत भी लहलहाती है 
उसी इश्क़ की तरह !

दीवानी सेंकती है 
मक्के की रोटी ,
पकता है
 सरसों का साग !

जिंदगी यूँ ही 

चलती रहती हैं ,
रोटियाँ यूँ ही 
सिकती रहती हैं !

कि  नून ,तेल ,लकड़ी के 
बिना कोई भी कहानी 
पूरी नहीं होती !!

- सीमा 



नज्म



नफरत की आँधी में भी 

दिल में छुपा के रखूँगी

मैं प्रेम तुम्हारा !!

आँधियाँ मुझे छू के
 
गुजर जाएंगी !!
- सीमा
*****************
जब भी तन्हाई 

समाने लगे मुझमे 

हाथ पकड़ लेना मेरा 

कि डूबने लगती हूँ 

इन अंधेरो में 

मै तुम्हारे बिना !!

- सीमा 
******************


Saturday, August 15, 2015

यादें


इसी पन्द्रह अगस्त 
 के दिन
तुमने अपने हिस्से का
 एक लड्रडू
मुझे दे दिया था,

वो हमारी दोस्ती का
पहला दिन था ना !
ये यादें भी ना 
तारीखों को दर्ज रखती हैं 
अपने सीने में! 
- सीमा

झंडा ऊंचा रहे हमारा



वो भी कितने
सुंदर दिन थे ना,जब
झंडे लिए हम दौड़ पड़ते थे
और कभी - कभी
एक दूसरे से टकरा के
गिर पड़ते थे पर
झंडे को उठा के
रखते थे हरदम! 
झंडे को ऊंचा 
रखते थे हरदम! 
जय हिंद। वंदे मातरम् 
- सीमा

Thursday, August 13, 2015

अक्सर



वो अक्सर 
 रो पडता था
 उसके लिए 
जिसके कारण वो

हॅसा करती थी !!
- सीमा

Wednesday, August 12, 2015

खुल के जीना



अपने भीतर एक 
तूफ़ान दबाकर वो 

हवाओं को 
सिखाती थी 
आहिस्ता चलना !!

काँटो को उखाड़ के 
फूलो को 
कहती थी  वो 
खुल के जीना !!

- सीमा 


भेदभाव



फूल कहीं भी
खिल जाते हैं
बिना भेदभाव के ,

झरने हर जगह 
बहते हैं झर झर के ,

पर मानव काटते-छॅाटते
रह जाते हैं उम्र भर
खुद को,

बॅाटते रह जाते हैं
देश,सीमाओं और
रीति,रिवाजों में
खुद को !!

- सीमा

खवाब


मुझे मेरे बचपन के 

घेरेदार फ्राक याद

नहीं आते कि 

मेरे साथ अभी भी 
जीती है एक छोटी लड़की
 
जो अक्सर पहन लेती है
पार्टी गाउन


और इतरा के
चलती है रैम्प ( Ramp) पर !!


- सीमा 

बादल


अक्सर बादल
मस्त हवाओं के
साथ बहते कहीं
दूर निकल जाते हैं,

कोई प्यासा ही रह जाता है 
वो कहीं और बरस जाते हैं !!

- सीमा

Saturday, August 8, 2015

अलमारी

                                     
एक बंद अल्मारी ,
कितना कुछ
दबाए रखती है
अपनेअंदर,
रूपए,पैसे,
गहने,कागजात
छोटी से छोटी चीजौ  को
और पुराने से पुराने
शब्दों को,
पीले पड़े
कागजो पर,

कितने राजों को
परत दर परत
दबाकर रखती हैं ये !

इन अलमारियों को
बिखेरने की कोशिश
मत करना,कि
बहुत वक्त लगता है
इन्हें सजाने,सवारने में,
इनके भीतर
जगह बनाने में!!
- सीमा

Friday, August 7, 2015

हमारा भविष्य




मै बहुत बार 
भाग आती हूँ 
उस बैठकी से 
उठकर 
जहाँ चलती रहती है 
बदलाव की बातें 
जानती हूँ कुछ भी 
बदलने वाला नहीं !!

राजनीति की उठापटक 

और नेताओ के
भाषणो के बीचसे भी 
निकल आती हूँ कि 
यहाँ  भी कुछ  सुधरने वाला नहीं !!

सास,बहु ,काम वालियों के 
किस्से भी नहीं खीचते अब मुझे !

मै आ बैठती हूँ 
छोटे ,छोटे बच्चो के बीच ,
गले मिलती हूँ 
उन किशोरियों से 
जो खुल के सांस लेती हैं 
और हमें भी 
जीना सिखाती हैं !

मै अपनी सारी 
परेशानियों को झटक 
हँसती ,बोलती हूँ 
बच्चो के साथ 
कि ये ही हमारे 
भविष्य हैं ,

ये ही हमारे वर्तमान !!

- सीमा 

Thursday, August 6, 2015

# तुम

तुम अपने
दीवानेपन में 

 कह जाते हो 
जो भी 
वो जमा रहती हैं 
मुझमे !

हाँ तभी तो 
उमस भरे दिनों में भी 
 ये भींगोती  रहती हैँ 
मुझको   !!

- सीमा 

Wednesday, August 5, 2015

जीना इसी का नाम है

कुछ लोग जीते हैं। 

कुछ लोगो को जीना 
पड़ता है ,
कितना फर्क है ना 
दोनों में 
पर दुनिया इसी पे 
कायम है सीमा !!

- सीमा 



Tuesday, August 4, 2015

समय

 जब समय सही
नहीं होता तो
अपनी ही बनाई
सुन्दर सी तस्वीर पे
गलती से रंग बिखर
जाते हैं और
एक तस्वीर
रंगो के तले
दफ़न हो जाती है !!

-  सीमा


Monday, August 3, 2015

इन्द्रधनुष

थोड़ी सी बारिश ,
 थोड़ी सी धूप 
ले आओ !
मुझे इन्द्रधनुष 
बनाना है !!

गम और खुशियो 
में हेर- फेर कर के 
जीवन के गीत को 
गाना है !!
- सीमा 

Friday, July 31, 2015

छत


आसमां कितना भी 
बड़ा हो जाए ,
कितनी भी 
बाँहें फैला ले ,
धूप ,पानी ,आँधी 
से बचना पड़ता है !

हम सबको अपने
 माथे के   ऊपर 
एक छत रखना 
होता है !!

- सीमा 

आओ दर्द सांझा कर लें



एक अंजाना सा दर्द 
अक्सर दवाब 
डालता है मेरे दिल पे 
उस दर्द का कोई 
नाम ,पता नहीं !

कुछ दिनों पहले 
तुमने अपना उदास 
चेहरा रखा था मेरी 
गोद मे और 
मेरे लाख पूछने पे भी 
तुम कुछ ना कह  पाए !

पर दबे पाँव
 तुम्हारा  दर्द 
समा  गया था 
मेरे दिल में !

हाँ ,तभी से
 मैं भी रहने लगी 
हूँ गुमसुम !

आओ हम दर्द 
साँझा कर लें !
गम को बाँट कर 
अाधा - आधा कर लें !!

- सीमा 

Wednesday, July 29, 2015

चाँद

वो चाँद बड़ा 
हसीन है  ,
सबकी 
आँखों  का 
वो तारा है  ,

बड़ी मासूम सी  है  ,
उसकी मुस्कराहट 
किस ने उसे 
जन्नत से 
उतारा  है  !!


- सीमा 


सुकून

तेरा जिक्र भी 
दे जाता है 
सुकून मुझे 
कि तू ना 
होकर भी 
मेरे आसपास 
होता है !!

- सीमा 

Tuesday, July 28, 2015

मन का आसमान


उदास से दिन ,
उदास सी  राते !


 खुशियो के  बादलो की
कोई सुगबुगाहट नहीं

मन का आसमान
ऐसा कि  जाने कब
 बरसने लगे
आँखों से बूँदे !!

वो थोड़े दिन
जब तुम बदले
नहीं थे
थे  कितने
खुशनुमा

पर जब से तुम
रहने लगे हो
गुमसुम

मेरे  भी
दिन ,रात
हो  गए है
सूने , सूने !!

- सीमा

मन की जमीन

मन की 
गीली जमीं पे 
पाँव रख के 
जब भी 
बाहर कहीं 
निकलती हूँ 
निशां पावों के 
 बोल  जाते हैं 

किन रस्तो से मैं 
 गुजर के 
 आई हूँ !!

- सीमा 

गहराई

उलीचती हूँ खुद को 

बार - बार मै  ,

फिर भी इसे 
भरा ही 
पाती हूँ !

ना  जाने 
कितनी गहराई 
है  भीतर 
हर बार कुछ 
छोड़ कर 
ही आती हूँ 

- सीमा 

अफसाना


वह  क्या खूब 
लिखती थी ! 

वो लिखती थी 
मोहब्बत के 
अफ़साने !

शब्दों को अदा से
 बिखेरती थी ,

वर्षो को जी 
लेती थी 
लम्हों में ,
ख्यालो को 
सजाती थी 
चुन ,चुन के !

मोहब्बत उसके
 चेहरे से
झलकती थी !


वो बहुत
 इत्मीनान थी ,
उसके कांधो पे 
सर  टिका के 
और मै बैचैन थी 

कि अक्सर 
देखा है 
दर्द में डूबे 
नज्मों को 
मोहब्बत की 
जमी से
 निकलते हुए !!

खुदा, उनकी 

हिफाजत करना !!


- सीमा 

Saturday, July 25, 2015

तकदीर


उसने  तकदीर
छुपा रखी  है 
मेरी मुट्ठी में ,

 मेरी हथेली मे 
अपने सुबहो - शाम 
पढ़ता है !!

-  सीमा 

Friday, July 24, 2015

इश्क


चलो इश्क़ को
एक बेहतर
मुकाम तक 
छोड़ आए
कि आंधियो में ये
बिखर ना जाए कहीं !!
- सीमा

जादू या भ्रम




मन के आँगन में
  थिरक रही है वो
बाँसुरी की धुन 
सी  बज रही है वो
   
साँसों के सरगम में 
उथल - पुथल है 

दिल के तारो को 
छेड़  रही है वो! 

उफ़्फ़ ! ये जादू सा
 छा रहा है क्या
 परी है या 
कोई अप्सरा है वो। 

चलो छू कर उसे
 देख  लूँ मैं 

 जादू है या है भ्रम  
तौल लूँ मै !
- सीमा 

Thursday, July 23, 2015

बचपन


 फिर से जी लेना 
चाहती हूँ 
बचपन को 
मरने से पहले !

कितना कुछ  था 
जिसे  बचपन ने 
दूर से ही देखा 
या बाद में जाना !

जैसे मेले से 
कोई बिना 
कुछ लिए ही   
लौट आया हो 
और मन अटका हो 
वही मेले के ठेलों में !

सच ,जिन्दगो की एक 
प्यारी तस्वीर है   बचपन !

बच्चो को पलने  दो 
इसकी छाँव में !

मत समेटो इसे ,
मत  बाँधो इसे ,
मत बर्बाद होने दो 
एक प्यारी कहानी को ,
मत उदास होने दो 
किसी की जिंदगानी को !!

- सीमा