Tuesday, September 2, 2014

40+

             40  +

छरहरी   काया पर

अभिशाप सी चढ़ चुकी

चर्बियाँ ,चिढ़ा रही हैं

आँखों के नीचे  के

काले  निशान और

ऊपर ऊपर से झलकते

सफ़ेद बाल ,सब  कुछ

चिल्ला चिल्ला के

कह रहे हो मानो कि

तुम कर दो खुद को

अब उम्र के हवाले

सीमा श्रीवास्तव


4 comments:

  1. "दुनिया भी अजीब सराए-फानी देखी,
    हर चीज यहाँ की आनी-जानी देखी,
    जो आ के न जाए - बुढापा देखा,
    जो जा के न आए - जवानी देखी."
    बढ़ती उम्र के साथ जवान होती कलम की सुन्दर अभिव्यक्ति लगी 40+.

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    1. वाह! बहुत सुंदर और सत्य बात कही आपने मनोज जी...,धन्यवाद...

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  2. क्‍या बात है ...............बेहतरीन

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    1. सदा आप हमेशा मेरा हौसला बढाती है.....बहुत बहुत धन्यवाद दोस्त...:)

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