राखी
……
जाने क्यों
भावशून्य हो
जाती हूं मै
राखी के नाम पर...
हाँ मैं नही
समझ पाती कि
अगर वो मेरे भाई है
मेरी इज्जत उसकी
इज्जत है तो फिर
क्युं वो देखता है
मेरी ही तरह
दूसरी बहनो को
गंदी नजरो से
सोचो सोचो,क्यूं
बाकियो को तौलते हो
तुम अपने,नजरो के
तराजू पर...
टटोलते हो उसके
दिल और दिमाग को
शब्द को अपशब्द
बना डालते हो और
अपनी बहन को छोड
सब पर बुरी नजर
डालते हो...?
सीमा श्रीवास्तव
……
जाने क्यों
भावशून्य हो
जाती हूं मै
राखी के नाम पर...
हाँ मैं नही
समझ पाती कि
अगर वो मेरे भाई है
मेरी इज्जत उसकी
इज्जत है तो फिर
क्युं वो देखता है
मेरी ही तरह
दूसरी बहनो को
गंदी नजरो से
सोचो सोचो,क्यूं
बाकियो को तौलते हो
तुम अपने,नजरो के
तराजू पर...
टटोलते हो उसके
दिल और दिमाग को
शब्द को अपशब्द
बना डालते हो और
अपनी बहन को छोड
सब पर बुरी नजर
डालते हो...?
सीमा श्रीवास्तव
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