छोटे मोटे
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१
सवालो के पीछे
सवालो से ऊपर
कुछ बाते ऎसी है
जिनका जवाब नही होता
२
खोलता अतीत के दरवाजे
पसीने से तरबतर चेहरा
३
हर दिन जख्म
देता है नया
शुक्र है मैंने
किसी से प्यार
नही किया
४
दुःख तो नसों मे
बह रहे खून की तरह
रहता है छुपकर
ज़रा सी धार लगी नहीं
कि टपक जाता है
बूँद बूँद बनकर
सीमा श्रीवास्तव
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१
सवालो के पीछे
सवालो से ऊपर
कुछ बाते ऎसी है
जिनका जवाब नही होता
२
खोलता अतीत के दरवाजे
पसीने से तरबतर चेहरा
३
हर दिन जख्म
देता है नया
शुक्र है मैंने
किसी से प्यार
नही किया
४
दुःख तो नसों मे
बह रहे खून की तरह
रहता है छुपकर
ज़रा सी धार लगी नहीं
कि टपक जाता है
बूँद बूँद बनकर
सीमा श्रीवास्तव
रिश्तों को परिभाषित करती सुन्दर रचना।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
राज चौहान
http://rajkumarchuhan.blogspot.in