Friday, November 21, 2014

चाँद

       चाँद  
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१ 

ओ पूर्णमासी के चाँद ,

जब भी तुम्हे याद कर के 

मैं बेलती हूँ रोटियाँ ,

रोटियाँ तुझ सी ही बनती हैं 

बिलकुल गोल मटोल । 


- सीमा श्रीवास्तव 

२ 

चाँद से भला क्या 

शिकायत करूंगी मैं 

मेरी भी सूरत तो 

हर दिन बदल जाती है !!

-  सीमा श्रीवास्तव …… 

३ 


चाँद को कुछ इतना 

सराहा मैंने कि

 तीसरे दिन ही वह 

टेढ़ा नजर आने लगा । 

- सीमा श्रीवास्तव 

2 comments:

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  2. सीमा जी परिवर्तन ही जीवन हैं। चॉद हमेँ कहता हैँ कि जीवन मेँ चाहे कितना भी बदलाव क्योँ ना आजाये आप मेरी तरह हमेशा मुस्कराते रहे
    अतिसुन्दर स्वागत हैँ पधारै

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