चाँद
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१
ओ पूर्णमासी के चाँद ,
जब भी तुम्हे याद कर के
मैं बेलती हूँ रोटियाँ ,
रोटियाँ तुझ सी ही बनती हैं
बिलकुल गोल मटोल ।
- सीमा श्रीवास्तव
२
चाँद से भला क्या
शिकायत करूंगी मैं
मेरी भी सूरत तो
हर दिन बदल जाती है !!
- सीमा श्रीवास्तव ……
३
चाँद को कुछ इतना
सराहा मैंने कि
तीसरे दिन ही वह
टेढ़ा नजर आने लगा ।
- सीमा श्रीवास्तव
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१
ओ पूर्णमासी के चाँद ,
जब भी तुम्हे याद कर के
मैं बेलती हूँ रोटियाँ ,
रोटियाँ तुझ सी ही बनती हैं
बिलकुल गोल मटोल ।
- सीमा श्रीवास्तव
२
चाँद से भला क्या
शिकायत करूंगी मैं
मेरी भी सूरत तो
हर दिन बदल जाती है !!
- सीमा श्रीवास्तव ……
३
चाँद को कुछ इतना
सराहा मैंने कि
तीसरे दिन ही वह
टेढ़ा नजर आने लगा ।
- सीमा श्रीवास्तव
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ReplyDeleteसीमा जी परिवर्तन ही जीवन हैं। चॉद हमेँ कहता हैँ कि जीवन मेँ चाहे कितना भी बदलाव क्योँ ना आजाये आप मेरी तरह हमेशा मुस्कराते रहे
ReplyDeleteअतिसुन्दर स्वागत हैँ पधारै