ये कैसी आजादी
)))))))))(((((((((((((
नारी,तुम.....
हो चुकी हो विभाजित
अलग अलग वर्गों में |
कही दंभ ,कही जोश ,
कही करुणा ,कही रोष
पुरानी परिभाषाएँ बदलती ,
नई परिभाषाएँ गढती ,
निकल आई हो बहुत आगे
दिख जाती हो
कभी किसी चौराहे पर
सिगरेट के कश लगाती
कभी आधे अधूरे कपड़ों में
नृत्य करती और मुस्कुराती । ।
पर ये कैसी आजादी ?
ये कैसी परिभाषा ?
कि, अपनी गरिमा को
आजादी के इस झंडे से
मत करो चोटिल ।
निकलो घर से पर
अपनी पहचान लेकर,
अपने नए रूप से
मत करो शर्मशार
नारी जाति को ,
मत करो शर्मशार
नारी जाति को !!
- सीमा श्रीवास्तव
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नारी,तुम.....
हो चुकी हो विभाजित
अलग अलग वर्गों में |
कही दंभ ,कही जोश ,
कही करुणा ,कही रोष
पुरानी परिभाषाएँ बदलती ,
नई परिभाषाएँ गढती ,
निकल आई हो बहुत आगे
दिख जाती हो
कभी किसी चौराहे पर
सिगरेट के कश लगाती
कभी आधे अधूरे कपड़ों में
नृत्य करती और मुस्कुराती । ।
पर ये कैसी आजादी ?
ये कैसी परिभाषा ?
कि, अपनी गरिमा को
आजादी के इस झंडे से
मत करो चोटिल ।
निकलो घर से पर
अपनी पहचान लेकर,
अपने नए रूप से
मत करो शर्मशार
नारी जाति को ,
मत करो शर्मशार
नारी जाति को !!
- सीमा श्रीवास्तव
आजादी अभी भी कभी कभी बहुत दूर लगती है .
ReplyDeleteसटीक चिंतन ..
Thank u Kavita jee...
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