Wednesday, November 19, 2014

देव तत्व

हाँ नहीं जग पाता

देव तत्व हमारे अंदर 

क्योकि हर बार बाहरी  आवरण  को

हम सँवारते है ,

सजाते है खुद को बाहर बाहर 

अंतर को कहॉ चमकाते है ..?

 रहते है उदासीन खुद से हम

औरो को देख मचल जाते हैं । 

अपनी  चमक पर चढ़ा के परतें ,

दूसरों की चमक पर भरमाते हैं । 

मिटा के अंदर के अंधियारे को 

अपने अंतर को चमका लो तुम।  

बाहरी रूप एक छलावा है 

बस अंतर को अपना लो तुम !!

सीमा श्रीवास्तव....

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