हाँ नहीं जग पाता
देव तत्व हमारे अंदर
क्योकि हर बार बाहरी आवरण को
हम सँवारते है ,
सजाते है खुद को बाहर बाहर
अंतर को कहॉ चमकाते है ..?
रहते है उदासीन खुद से हम
औरो को देख मचल जाते हैं ।
अपनी चमक पर चढ़ा के परतें ,
दूसरों की चमक पर भरमाते हैं ।
मिटा के अंदर के अंधियारे को
अपने अंतर को चमका लो तुम।
बाहरी रूप एक छलावा है
बस अंतर को अपना लो तुम !!
सीमा श्रीवास्तव....
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औरो को देख मचल जाते हैं ।
अपनी चमक पर चढ़ा के परतें ,
दूसरों की चमक पर भरमाते हैं ।
मिटा के अंदर के अंधियारे को
अपने अंतर को चमका लो तुम।
बाहरी रूप एक छलावा है
बस अंतर को अपना लो तुम !!
सीमा श्रीवास्तव....
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