Wednesday, November 26, 2014

भोर की आहट



देखो है बैचैन सूरज

कहने को कुछ भोर से

कलियॉ कसमसा रही हैं

पंक्षियो के शोर से

उडने को बेताब पंक्षी

भी हैं सुगबुगा रहे

पेड पौधे हिल डुल के

गीत गा रहे नए...

- सीमा श्रीवास्तव..


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