Friday, November 28, 2014

प्रकाशपुंज

     प्रकाशपुंज
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खिड़कियों पर चढ़ा दिए परदे 

कि  बाहर का अँधियारा 

हावी   ना होने पाए  ,

जोड़ लिया खुद को 

अंदर के उजियारे से 

हाँ ,जब भी  अन्धेरा 

बढ़ने लगे तब

 जोड़ लेना खुद को 

अंदर के उजाले से ,


आओ पहचानें खुद को 

हमारे अंदर  ही  छुपा है 

प्रकाशपुंज !!!

सीमा श्रीवास्तव 

1 comment:

  1. सच ही मन के दीये में हज़ारों सूरज की रोशनी होती है.

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