मैं चाहती थी लिखना ,
रेत पर तुम्हारे और मेरे नाम के
पहले अक्षर। ……
तुमने कहा सब हसेंगे हम पर ,
मैंने चाहा लहरो के साथ
कुछ देर खेलना ,
तुम हाथ खींच बहुत
दूर ले गए ,
कहा लहरों का कोई
भरोसा नहीं ।
मुझे पता है कि तुम्हें
कितनी फिक्र है मेरी
सच ,तुम हकीकत से जुडे होते हो
इस हद तक कि मैं चाह के भी
रोमानी हो नहीं पाती....
सीमा श्रीवास्तव...
रेत पर तुम्हारे और मेरे नाम के
पहले अक्षर। ……
तुमने कहा सब हसेंगे हम पर ,
मैंने चाहा लहरो के साथ
कुछ देर खेलना ,
तुम हाथ खींच बहुत
दूर ले गए ,
कहा लहरों का कोई
भरोसा नहीं ।
मुझे पता है कि तुम्हें
कितनी फिक्र है मेरी
सच ,तुम हकीकत से जुडे होते हो
इस हद तक कि मैं चाह के भी
रोमानी हो नहीं पाती....
सीमा श्रीवास्तव...
बहुत सुन्दर रचना। बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद शांतिदीप जी...
ReplyDelete