Thursday, December 25, 2014

कुछ बुरे लोग

 कुछ बुरे लोग
ंंंंंंंंंंंंंंंंं

सुनो दोस्त..

कुछ लोग चाह्ते ही हैं कि

इतनी गंदगी बिखेर दें कि

हमारा चलना  मुश्किल हो जाए

इतने गड्ढे खोद दें कि

 सँभलते सँभलते हम गिर ही जाए! 

ऐसे लोग बिलकुल भी नहीं शर्माते 

ये खुद ही कुछ ऐसा कर बैठते हैं  

कि हमें बंद कर लेनी पड़ती है 

अपनी आँखे! 

ये गन्दगी के पोषक होते है, 


अरे!ये  तो चाह्ते ही हैं  उलझा के रखना सबको

तबाही मचाने,आग लगाने और गर्द उडाने में 

ये लेते हैं मजे, ये चाह्ते हैं कि तुम भी आकर समेटो

इनके फैलाए कीचड को और गंदे करो अपने हाथ !

सीमा श्रीवास्तव

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