मन का पैराहन तार तार हो जाता है और ज़ख़्मों पर अपनी जीभ भेरनी पड़ती है ।
Sahi kaha aapne Haridev ji...,dhanyawaad..
मन का पैराहन तार तार हो जाता है और ज़ख़्मों पर अपनी जीभ भेरनी पड़ती है ।
ReplyDeleteSahi kaha aapne Haridev ji...,dhanyawaad..
ReplyDelete