सुकून
सुकून वाले दिन रात
जहाँ मौसम होता राहतवाला ।
ना गर्मी की तपिश ,
ना सर्दी की कपकपाहट ,
ना बारिश की किचकिच ,
ना धूल और गर्द का आतंक
पर ऐसा मौसम कहाँ ठहर पाता है !!
नहीं रह पाता सुकून ,
जब मौसम अपना असली रूप दिखाता है !!
हल्की हल्की ठंढ़ धीरे धीरे
होती जाती है क्रूर!!
धीरे धीरे दिखने लगता है इसका ग़ुरूर ।
राहत वाले पल बोलो कब ठहरा
करते हैं ,
सुकून वाले दिन बस कुछ पल के
मेहमां होते हैं!!!
- सीमा श्रीवास्तव
सच्ची अभिव्यक्ति .... उम्दा रचना
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी...
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