Friday, October 31, 2014

रेत मत होने दो इसे




 पत्थरो को रेत होने में तो 

सदियाँ बीत  जाती हैं ,

पर आदमी टूट जाता है 

एक जीवन में ही 

होकर किसी गहरी चोट का शिकार 

और रेत रेत हो जाती है जिंदगी । 

यही तो फर्क होता है

 आदमी और पत्थर में

पत्थरों को तोड़ना आसान नहीं 

पर आदमी कभी भी टूट सकता है 

पर टूटो नहीं हौसला रखो 

फौलादी इरादे रखो 

पत्थर दिल मत बनो पर 

रेत मत होने दो ज़िंदगी को । 


सीमा श्रीवास्तव 

3 comments:


  1. पर आदमी टूट जाता है

    एक जीवन में ही

    होकर किसी गहरी चोट का शिकार

    और रेत रेत हो जाती है जिंदगी ।

    यही तो फर्क होता है

    आदमी और पत्थर में

    UMDA ..JIWAN KA FALSAFA :) BADHAYI..SHUBHKAAMNAYE :)

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  2. धन्यवाद सुनीता....:)

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  3. "....पर टूटो नहीं हौसला रखो, फौलादी इरादे रखो, पत्थर दिल मत बनो पर, रेत मत होने दो ज़िंदगी को" सुन्दर अभिव्यक्ति, प्रेरणादायी !

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