पत्थरो को रेत होने में तो
सदियाँ बीत जाती हैं ,
पर आदमी टूट जाता है
एक जीवन में ही
होकर किसी गहरी चोट का शिकार
और रेत रेत हो जाती है जिंदगी ।
यही तो फर्क होता है
आदमी और पत्थर में
पत्थरों को तोड़ना आसान नहीं
पर आदमी कभी भी टूट सकता है
पर टूटो नहीं हौसला रखो
फौलादी इरादे रखो
पत्थर दिल मत बनो पर
रेत मत होने दो ज़िंदगी को ।
सीमा श्रीवास्तव
ReplyDeleteपर आदमी टूट जाता है
एक जीवन में ही
होकर किसी गहरी चोट का शिकार
और रेत रेत हो जाती है जिंदगी ।
यही तो फर्क होता है
आदमी और पत्थर में
UMDA ..JIWAN KA FALSAFA :) BADHAYI..SHUBHKAAMNAYE :)
धन्यवाद सुनीता....:)
ReplyDelete"....पर टूटो नहीं हौसला रखो, फौलादी इरादे रखो, पत्थर दिल मत बनो पर, रेत मत होने दो ज़िंदगी को" सुन्दर अभिव्यक्ति, प्रेरणादायी !
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