उम्मीद
जुगाड़
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कुछ उम्मीदो को
सिरहाने रख के सोती हूं मैं,
तभी तो जागती भी हूँ
एक नयी हिम्मत के साथ।
कुछ चाहतों का रोज
दामन पकडती हूँ मैं,
ताकि जिंदा रहने की
चाह बनी रहे....
कुछ हौसलो को रोज
सहलाती हूं मैं,
तभी तो हौसले भी
देते रहते है साथ....
सीमा श्रीवास्तव
भाव-प्रवण रचना। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteआपने बहुत खुब लिख हैँ।
ReplyDeleteजब उम्मिद होगी तभी हौसले बुलंद होगे ।
सुन्दर और सरस
आज मैँ भी अपने मन की आवाज शब्दो मेँ बाँधने का प्रयास किया प्लिज यहाँ आकर अपनी राय देकर मेरा होसला बढाये
आपका ब्लॉग यहाँ http://safaraapka.blogspot.in/सफर आपका पर देखे
खुबसूरत रचना !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप आमंत्रित हैं :)
सीमा जी बहुत सुंदर रचना आपकी इस रचना प्रतिउत्तर मै अपनी इस रचना के साथ दे रहा हूँ
ReplyDeletehttp://pratibimbprakash.blogspot.com/2014/01/The-life-of-man-is-smiling-flowers-blossom.html