Sunday, August 28, 2016

रंग और खुश्बू

            रंग और खुश्बू
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वो फूल उसे खींच कर ले जाता है बरसों पीछे,
वह रंग उसे छोड़ आता है  उसी आंगन में

जहॉ पहली बार इन्द्रधनुष के सात रंगों सी
 सतरंगी हो गई थी जिंदगी।

यूँ तो कितने ही फूल मुस्कुराते हैं आसपास
पर यादों में बसे फूल मुस्कुराते रहते हैं
मन के झरोखों से।

और कुछ रंग दबे रहते हैं
इन्द्रधनुष बनके।
- सीमा 

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