मैं जब भी पढ़ना चाहती हूँ अपने मन के गहनतम भाव कोई ना कोई चिडिया आकर टोक देती है , भंग कर देती है मेरी शांति चिडिया चाहती है कि मैं उसकी तरह चूँ-चपड करती रहूँ कि शांति की तलाश में बहुत बार लोग भटक जाते हैं। — सीमा
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