मैं लिखती हूँ तितली तुम उसे हाथों में पकड लेते हो!
मैं लिखती हूँ वंसत तुम रंगो में डूबने लगते हो!
मैं लिखती हूँ बादल बिन बरसात तुम भींगने लगते हो!
मैं लिखती हूँ प्रेम तुम जाने क्या महसूस करते हो! — सीमा
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