मिट्टी ****** कुम्हार के चाक पर चढ़ी मिट्टी चौकस रहती है अपने हर दबाव पर कि नाचते - नाचते ना जाने वह कौन सा रुप ले ले! फिर वही रुप उसकी जिंदगी बन जाती है! - सीमा
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