अंधाधुंध भागते हुए
आदमी को नहीं नजर आता
प्रेम, स्नेह जैसा शब्द !
वो बेतहाशा
भागता रहता है !
बिना धुप,पानी
महसूस किये !!
वह बना डालता है
दूसरो खातिर
कितने ही महल औ
आरामगाह
पर अपने लिए
एक घर नहीं
बना पाता है !!
- सीमा
आदमी को नहीं नजर आता
प्रेम, स्नेह जैसा शब्द !
वो बेतहाशा
भागता रहता है !
बिना धुप,पानी
महसूस किये !!
वह बना डालता है
दूसरो खातिर
कितने ही महल औ
आरामगाह
पर अपने लिए
एक घर नहीं
बना पाता है !!
- सीमा
Uttam kriti....
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