Thursday, February 11, 2016

खुशी

नहीं जानती
किस जन्म के दु:ख से
मैं आहत हूँ इस जन्म में!
कि जब -जब 
छोटी -छोटी खुशियों को
बटोरना चाहा
किसी ना किसी
बड़े दु:ख का
भयावह चेहरा दिखा !
जब-जब
हल्की -फुल्की
बातों के लिए
किसी से मिली
सबने भारी-भरकम
जामे पहना दिए मुझे!
मैं तलाशती थी
छोटी -छोटी
खुशियाँ ,
पर लोग चाहते थे
बड़ी -बड़ी वजहें
और
मैं हर बार उदास सी
लौट आती थी
अपने गरीब खाने में!!
-सीमा

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