Thursday, February 11, 2016

रिश्ता

दोस्ती का रिश्ता
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ओह! कहाँ गए वो 
हंसने,हँसाने के दिन,
कहानियाँ बनाने,
पहेलियाँ बुझाने के दिन,
कॅाल्स पे कॅाल्स,
मैसेजस पे मैसेजस
एक दूसरे के सपनों में
आने-जाने के दिन ।
थोड़ी उम्मीदें बढ़ गईं ज्यादा,
थोड़े भ्रम हो गए पैदा
थोड़ी उलझनें बढ़ी
और रिश्ते से प्यार
उडनछू हो गया ।
- सीमा

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