चाकलेट डे
जिन्हें हम
भूल नहीं पाते
भूल नहीं पाते
वो अपने होने का
एहसास बखूबी
देते रहते हैं
एहसास बखूबी
देते रहते हैं
कल चाकलेट डे
ही देखो ना
बीते साल की
वो मधुर एहसास को
घोल गया ।
ही देखो ना
बीते साल की
वो मधुर एहसास को
घोल गया ।
और साथ ही
छोड़ गया
तुम्हारे पास ना
होने की कड़वाहट ।
छोड़ गया
तुम्हारे पास ना
होने की कड़वाहट ।
- सीमा
(रचनाएँ बहुत कुछ कहती है, कभी अपनी ,कभी आसपास की,,,,,,जरूरी नहीं कि हर अफ़साना अपना हो)
(रचनाएँ बहुत कुछ कहती है, कभी अपनी ,कभी आसपास की,,,,,,जरूरी नहीं कि हर अफ़साना अपना हो)
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