Wednesday, February 24, 2016

ढाई ही अक्षर

छिपा है प्यार जिसमें वो
हैं सिर्फ ढाई ही अक्षर,
बसा था दिल में तेरे जो
वो थे ये ढाई ही अक्षर।
बहक के जब जुबां से
शब्द कुछ ज्यादा निकल गए,
तमाशा बन गए देखो
फिर वही ढाई ये अक्षर ।
जमा कर लो
मुहब्बत की
इस मीठी जुबानी को
देगें राहत दर्द में
हमारे ढाई ये अक्षर ।
- सीमा

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