Wednesday, February 24, 2016

वसंत

    वसंत
***********
 वसंत तो तब होता
जब मेरा
बागीचा
वसंती फूलों से
गुलज़ार होता।
वसंत तो तब होता
जब सरसों के खेतों से
आती हवाएँ मुझे छेड़ जाती ।
इस बार वसंत आकर
यूँ ही चला जाएगा
कि पिछले महीने
मैंने गमलों में नहीं लगाए
अपनी पसंद के फूल ।
कि इन दिनों मैं
ईंट -पत्थरों में
उलझ कर रह,
गई थी।
सुनो वसंत,
मैं अगले वर्ष
तुम्हारा स्वागत करूँगी
ढेर सारे फूलों और
खुशबुओं के साथ ।
- सीमा

No comments:

Post a Comment