Tuesday, July 28, 2015

गहराई

उलीचती हूँ खुद को 

बार - बार मै  ,

फिर भी इसे 
भरा ही 
पाती हूँ !

ना  जाने 
कितनी गहराई 
है  भीतर 
हर बार कुछ 
छोड़ कर 
ही आती हूँ 

- सीमा 

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