Tuesday, July 28, 2015

अफसाना


वह  क्या खूब 
लिखती थी ! 

वो लिखती थी 
मोहब्बत के 
अफ़साने !

शब्दों को अदा से
 बिखेरती थी ,

वर्षो को जी 
लेती थी 
लम्हों में ,
ख्यालो को 
सजाती थी 
चुन ,चुन के !

मोहब्बत उसके
 चेहरे से
झलकती थी !


वो बहुत
 इत्मीनान थी ,
उसके कांधो पे 
सर  टिका के 
और मै बैचैन थी 

कि अक्सर 
देखा है 
दर्द में डूबे 
नज्मों को 
मोहब्बत की 
जमी से
 निकलते हुए !!

खुदा, उनकी 

हिफाजत करना !!


- सीमा 

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