Seema Kee Lekhanee
Friday, July 17, 2015
किसी बहाने से
वो मिलती रही उसे
पत्तो में ,
फूलो में ,
बादलो में ,
शोख हवाओ में ,
हिरणी की चाल में ,
तितलियों के रंगो में
वो कब तन्हा रहा
कि वो हर वक़्त
उसे एहसास
दिलाती रही कि
इश्क़ इसी को
कहते है !!
हाँ , आजकल
हर पल
वो रहती है
आसपास
किसी बहाने से !!
- सीमा
2 comments:
आनन्द विक्रम त्रिपाठी
July 22, 2015 at 6:34 PM
सुन्दर रचना
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Unknown
July 27, 2015 at 6:24 AM
Dhanywaad
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सुन्दर रचना
ReplyDeleteDhanywaad
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