Friday, July 24, 2015

जादू या भ्रम




मन के आँगन में
  थिरक रही है वो
बाँसुरी की धुन 
सी  बज रही है वो
   
साँसों के सरगम में 
उथल - पुथल है 

दिल के तारो को 
छेड़  रही है वो! 

उफ़्फ़ ! ये जादू सा
 छा रहा है क्या
 परी है या 
कोई अप्सरा है वो। 

चलो छू कर उसे
 देख  लूँ मैं 

 जादू है या है भ्रम  
तौल लूँ मै !
- सीमा 

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