मन के आँगन में
थिरक रही है वो
बाँसुरी की धुन
सी बज रही है वो
साँसों के सरगम में
उथल - पुथल है
दिल के तारो को
छेड़ रही है वो!
बाँसुरी की धुन
सी बज रही है वो
साँसों के सरगम में
उथल - पुथल है
दिल के तारो को
छेड़ रही है वो!
उफ़्फ़ ! ये जादू सा
छा रहा है क्या
परी है या
कोई अप्सरा है वो।
चलो छू कर उसे
देख लूँ मैं
जादू है या है भ्रम
तौल लूँ मै !
- सीमा
कोई अप्सरा है वो।
चलो छू कर उसे
देख लूँ मैं
जादू है या है भ्रम
तौल लूँ मै !
- सीमा
No comments:
Post a Comment