एक अंजाना सा दर्द अक्सर दवाब डालता है मेरे दिल पे उस दर्द का कोई नाम ,पता नहीं ! कुछ दिनों पहले तुमने अपना उदास चेहरा रखा था मेरी गोद मे और मेरे लाख पूछने पे भी तुम कुछ ना कह पाए ! पर दबे पाँव तुम्हारा दर्द समा गया था मेरे दिल में ! हाँ ,तभी से मैं भी रहने लगी हूँ गुमसुम ! आओ हम दर्द साँझा कर लें ! गम को बाँट कर अाधा - आधा कर लें !! - सीमा
उदास से दिन , उदास सी राते ! खुशियो के बादलो की कोई सुगबुगाहट नहीं मन का आसमान ऐसा कि जाने कब बरसने लगे आँखों से बूँदे !! वो थोड़े दिन जब तुम बदले नहीं थे थे कितने खुशनुमा पर जब से तुम रहने लगे हो गुमसुम मेरे भी दिन ,रात हो गए है सूने , सूने !! - सीमा
वह क्या खूब लिखती थी ! वो लिखती थी मोहब्बत के अफ़साने ! शब्दों को अदा से बिखेरती थी , वर्षो को जी लेती थी लम्हों में , ख्यालो को सजाती थी चुन ,चुन के !
मोहब्बत उसके चेहरे से झलकती थी ! वो बहुत इत्मीनान थी , उसके कांधो पे सर टिका के और मै बैचैन थी कि अक्सर देखा है दर्द में डूबे नज्मों को मोहब्बत की जमी से निकलते हुए !!
फिर से जी लेना चाहती हूँ बचपन को मरने से पहले ! कितना कुछ था जिसे बचपन ने दूर से ही देखा या बाद में जाना ! जैसे मेले से कोई बिना कुछ लिए ही लौट आया हो और मन अटका हो वही मेले के ठेलों में ! सच ,जिन्दगो की एक प्यारी तस्वीर है बचपन ! बच्चो को पलने दो इसकी छाँव में !
मत समेटो इसे , मत बाँधो इसे , मत बर्बाद होने दो एक प्यारी कहानी को , मत उदास होने दो किसी की जिंदगानी को !! - सीमा
ख़ुशी ****** मै , खुश रहना चाहती हूँ हर पल इसलिए मिलती हूँ फूलों से , खेलती हूँ हवाओँ से. चहक लेती हूँ पंछियों के साथ। किसी गीत के बोल गुनगुनाती हूँ , किसी दीवाने के मन मे डुबकी लगाती हूँ और रंग देती हूँ शब्दों को इश्क के रंग में !!
मै ,
हकीकत की
जमीन को ठोकर मार के
थोड़ी दूर ख्वाबो के साथ उड़ जाती हूँ !! बस इसलिए कि मै ख़ुश रहना जानती हूँ !! - सीमा
मै कुछ तुम पर लिखती हूँ , तुम भी कुछ मुझ पर लिखो ना !!
बहुत कुछ अव्यक्त है आओ इसको पढ़ो ना ! कुछ रहस्य निकल आए कहीं , कुछ उलझा सुलझ जाए कहीं , अब तक जो बिखरा पड़ा था वो मन संवर जाए कहीं , मै कुछ तुम पर लिखती हूँ , तुम भी कुछ मुझ पर लिखो ना ! - सीमा
वो मिलती रही उसे पत्तो में , फूलो में , बादलो में , शोख हवाओ में , हिरणी की चाल में , तितलियों के रंगो में वो कब तन्हा रहा कि वो हर वक़्त उसे एहसास दिलाती रही कि इश्क़ इसी को कहते है !! हाँ , आजकल हर पल वो रहती है आसपास किसी बहाने से !! - सीमा
तुमने पूछा मेरा हाल मैंने भेज दिए कुछ सादे पन्ने !! मुझे पता था उन सादे पन्नो से पढ़ लोगे तुम मेरे अनकही बातो को , पर तुम भी कहाँ कुछ लिख पाए और भेज दिया सादा ही ! मैंने भी पढ़ ली है उन सारी अनकही बातो को तभी तो आँखों से बहते सावन से भींग गए हैं वो सादे पन्ने !! - सीमा
उस दिन तुमने यूँ ही अनजाने में नहीं बनाई होगी मेरी तस्वीर , जरूर मेरी याद गहराई होगी और मुझे अपने बहुत पास लाने खातिर तुम खीचते गए होंगे मुझे अपनी उँगलियों से !!
उसने कहा ********* उसने कहा उदासी ना लिखो , लो मैंने अपनी लेखनी में लाल रंग भर लिया !! पहले था जो समंदर सा नीला अब वो प्रेम में रंग कर चटकीला हो गया !! - सीमा
चालीस साला औरतो के अंदर ही जीती रहती है बीस साला लड़कियाँ पहले से ज्यादा सुन्दर ,तेज और बहादुर हो जाती हैं वो , क्यूंकि उनके साथ खड़ी रहती है चालीस साला औरतें !!