Friday, August 8, 2014

संवेदनहीन

संवेदनहीन नहीं   हैं  हम ,
प्रभावित करती हैं  हमें भी ,
अखबार में छपी खबरें
कराहता है हमारा भी मन
पर अपनी परिधि के अंदर
हम भी कम व्यथित नहीं रहते

समस्याऍ यहाँ भी कम नही

चिंताएँ यहाँ भी हैं भिन्न भिन्न

यहाँ भी कम दवाब नहीं

बैठे रहते हैं हम अपनी परिधि में
झुँझलाए से ,..........

फिर अचानक उठते हैं ,
टी. वी.  ऑन करते  हैं,
देखते हैं …
कोई कॉमेडी शो ,
और थोड़ा हस लेते हैं

फूहड़ों जैसा,,,,,,,

सीमा श्रीवास्तव

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