Friday, August 29, 2014

शब्द

          उथल पुथल
…………………………

(1)

क्यों इतनी उम्मीदे
बांध लेते हो मुझसे

कि खुद पर मुझे
 शक होने लगे

(2)

क्या कहूँ  तेरे
इस प्रेम को

जहॉ शब्द कम है
उम्मीदे ज्यादा हैं 

(3 )

विचलित होती हूँ
तेरी ही बात से

फिर तुझ पे ही
आ के सिमट जाती हूँ

सीमा श्रीवास्तव

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