Saturday, April 8, 2017

पेड़

मैंनें देखा है पेड़ों को करवटें लेते हुए
कि कभी-कभी उनका भी जिस्म अकड़ जाता है!
मैंनें देखा है उन्हें बाँहें फैला कर
अंगड़ाई लेते हुए,
सुबह की धूप में
खिलखिलाते हुए और
दोपहर की धूप में निढ़ाल होते हुए।
मैं पेड़ों को रोज निहारती हूँ।
उन्हें दुआएँ देती हूँ।

मेरे घर के ठीक पीछे खड़ा
पीपल का पेड़ अभी बहुत उदास है।
उसके सारे पत्ते झड़ गए हैं।
उसकी टहनियाँ नंगीं हो गईं हैं
वो हरी पत्तियों को
जल्द से जल्द लौट आने का
निवेदन कर रहा है!
पत्तियाँ जल्द  ही सज जाएगी टहनियों पर
पीपल चैन की नींद सोएगा कुछ दिन!
- सीmaa

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