मैं जानती हूँ तुम समय से पहले ही समझदार हो गए थे
तुम्हें दुनिया की हर ऊँच-नीच नापनी थी,
तुम्हें अपने मापदंड बनाने थे,
दुनिया को बदलने की हिम्मत जुटानी थी!
तुम बुद्ध हो जाना चाहते थे!
तुम्हें रहस्यों के भीतर समाना आता है
और तुम लौटते हो वहाँ से शून्य होकर
और मैं उसी शून्य में समा जाना चाहती हूँ हर बार
ताकि तुम्हें फिर से जिन्दा कर सकूँ!
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