Friday, April 28, 2017

नाटक

सोचो तो कुछ नहीं था
ना प्यार, ना नफरत
ना ख्वाब, ना कोई हकीकत
बस एक मंच था और
हमें जारी रखना था कोई नाटक
दर्शकों की मांग पर
ये दिल दिमाग की सारी
मेहनत थी
सारा  जुगाड़ वक्त ने लगाया था।
- सीmaa

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