वो भी कितने
सुंदर दिन थे ना,जब
झंडे लिए हम दौड़ पड़ते थे
और कभी - कभी
सुंदर दिन थे ना,जब
झंडे लिए हम दौड़ पड़ते थे
और कभी - कभी
एक दूसरे से टकरा के
गिर पड़ते थे पर
झंडे को उठा के
रखते थे हरदम!
गिर पड़ते थे पर
झंडे को उठा के
रखते थे हरदम!
झंडे को ऊंचा
रखते थे हरदम!
जय हिंद। वंदे मातरम्
- सीमा
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