Thursday, March 19, 2015

कभी-कभी

कभी ,कभी   थम जाती हूँ ,
दूर खड़े होकर देखती हूँ 

दूसरो का बोलना ,बतियाना ,

हँसना ,खिलखिलाना। .

बिना किसी से कोई  संवाद के
फिर  खुद में हो जाती   हूँ गुम
हाँ  !  हर बार जरूरी तो  नहीं

शब्दों के जोड़-तोड़ !
कि कई बार चुप्पी भी

 हमें लगती है  प्यारी !!

-  सीमा


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