तुम जब साजिशें रच रहे होगें
मैं तितलियों के पंखों के रंग गिन रही हूँगीं!
तुम जब पानी में ज़हर मिला रहे होगे
मैं नदी में अपने पैर डुबो कर
छप-छपाछप कर रही हूँगीं!
तुम जब दुनिया के सारे मासूम चेहरों को
मसलने की सोच रहे होगे
मैं अपनी कूचीं उठाकर बना रही हूँगीं
नींद से उठकर आँखें मलता एक बालक!
- सीmaa
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