जिंदगी के रंगमंच पर!
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मैंने हमेशा जीना चाहा
एक अदाकारा की तरह
जो अपने हर संवाद
बखूबी बोलती हो
हर दृश्य को
भली भांति समझती हो।
जीती हो पल-पल को
जो अभिनय नहीं करती
बल्कि समा जाती हो पात्र में
जिसके अंग-अंग से झलकती हो
उसकी भूमिका।
हाँ, जिंदगी एक रंगमंच है
और हम सभी किरदार
पर मैं नहीं बन पाई
एक अच्छी अदाकारा
मै तो हर वक्त
अटकती रही संवादों में
उलझती रही
बदलते दृश्यों के साथ ।
काश कि मैं हो पाती
एक अच्छी अदाकारा।
खींच लेती
कमजोर कहानियों को भी
अपने दमदार अभिनय से।
भर देती उनमें जीवंतता
और हिट हो जाती
जिंदगी के रंगमंच पे
एक और
जीवंत कहानी।
-सीmaa
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