Wednesday, March 1, 2017

अनसुनी

तुम हर बार
अनसुनी करते रहे
अपनी छटपटाहट को,
तुम हर बार
पनाह देते रहे दर्द को
बहुत कचरा
जमा हो गया ना!
अब एक ही
रास्ता है
या तो खुद को
दफन कर दो
या बिखरा दो
दर्द का हर हिस्सा
कि
जहाँ से आया था
ये वहीं चला जाए वापस !
- सीमा

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